"fb:pages" content="183980025505256" /> Spiritual and modern life: मृत्यु से पहले मुक्त्ति (मोक्ष)

सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

मृत्यु से पहले मुक्त्ति (मोक्ष)

             " इस जीवन में मरने के बाद मुक्ति मिली तो क्या                        मिली ज़ी  कर भी जो चीज़ न मिली मरने                                बाद क्या पता मिले या न मिले "।

 आपने देखा होगा या सुना होगा की कुछ गुरु कहते है कि मारने के बाद तुम्हे मोक्ष, मुक्ति मिलेगी या ज़न्नत में जाओगे । लेकिन जीते ज़ी हमे क्यों मोक्ष, मुक्ति क्यों नही मिल सकती है, आखिर क्या प्रॉबलम है अभी मुक्ति और ज़न्नत मिलने में और क्या पता मारने बाद मिलती भी है या नही । इस तरह की भ्रामक एवम् तर्कहींन बाते करते है। जिसका कोई औचित्य नही है।
           1.#      हमे  अपने पापों दुःखो से कष्टो समस्याओं से अलग होना छुटकारा पाना ही मुक्ति है। किसी चीज से अलग होना ही मुक्ति है किसी समस्या से छुटकारा get rid of मिलना ही मुक्ति है, एक भारतीय हिन्दू सनातन धर्म मर्यादा सम्प्रदाय है जिसमे मुक्ति के बारे में बात कही गयी है और कही और आपको मुक्ति के बारे कोई ग्रन्थ किताब नही मिलेगी कुछ में ज़न्नत तक के लिए ही बताया गया है मुक्ति है ही नही और कुछ में तो आत्मा परमात्मा है ही नही बस ये nature कुदरत और साइंस हैं एक सनातन धर्म है जिसमे मुक्ति के बारे में बताया गया है।
            2.#            भाव सागर से पार होना इसी को मोक्ष कहते है -हमारे जो भाव विचार है, या हमारा होना जैसे की हम डॉक्टर है ,इंजीनयर है नेता है , या खिलाडी है या फ़िल्म के हीरो अभिनेता कलाकार है इन सबका होने का मन में विचार ही न आये की मैं ये, ओ, कुछ बन जाऊ इसी को भाव सागर से पार होना कहते है। हमारे मन में कुछ विचार ही न आये बनने being का मुझे नही लगता की कोई ऐसा चाहेगा की मेरे मन में कुछ बनने का विचार न आये । इसी को मोक्ष कहते है मोक्ष का मतलब है मोह +अक्षय मोह का अक्षय हो जाना मोह का क्षय क्षरण होना ही मोक्ष है,यदि मोक्ष हो गया तो कौन माता-पिता अपने बच्चों को प्यार करेगें ।कौन प्रेमिका अपने प्रेमी से प्रेम करेगीं ।जब मोह ही नही रहेगा तो कैसा लगाव ,और क्या प्रेम।                                             इसीलिए मोह भी ज़रूरी है।  मोक्ष तो व्यक्ति की अंतिम अवस्था है जब सारा जीवन मनुष्य जी लेेेता है तब अंत में मोक्ष की इच्छा करता है ।सब कुछ छोड़ देना ही मोक्ष है।इसी को वैराग्य भी कहते है,जो भगवान महावीर को भी हुआ था।  ( परम् पूज्य सदगुरुदेव श्री ब्रम्हऋषि 'श्री कुमार स्वामी जी' के द्वारा रचित पुस्तक 'मृत्यु से पहले मुक्ति' पुस्तक में विस्तार पूर्वक वर्णन है। )

Note


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