' राम और काम :- '
" काम शरीर की वह क्रिया या आयाम हैं जिसके द्वारा संतति (child,संतान )उत्पन्न होती हैं। ये सारा जगत प्रभु कृपा और काम से बना हैं।
काम की शक्ति कोई अलग नही है , राम ही काम है या राम की ही शक्ति काम है ,जब सहश्त्रर्ध् की शक्ति मूलाधार में आ जाती है तो वह काम(reproduction) की शक्ति बन जाती है और यही शक्ति जब सहश्त्रर्ध् में चली जाती है तो वह मन (बौद्धिक) की शक्ति बन जाती है। ये काम कोई बुरी नही है। बुरी बात ये है की ये हमारे हाथ में नही है नियंत्रण में नही है । काम, क्रोध ,लोभ इनको हमारे हाथ में होना चाहिए । जबकि हम काम,क्रोध के आधीन चले जाते है। ये science भी कहता हैं की जब हमारे शरीर में रक्त प्रवाह blood circulation , reproduction system की तरफ होता हैं तो काम वासना शरीर में आ जाती हैं।जो हम देखते सुनते या करते हैं उसके अनुसार हमारा शरीर प्रतिक्रिया react करता हैं। और शरीर व मन में भाव विचार उत्पन्न या पैदा होते हैं और उसी तरह हम कार्य करने लगते हैं चाहे वह अच्छा कार्य, काम हो या बुरा कार्य।
जैसे कार, बाइक है इनके क्लच, गियर ,ब्रेक का हमे सही ज्ञान होने पर हम इन्हें चला लेते है, नही तो ये मौत है।अब जैसे हवाई जहाज हैं इससे हम हवा में उड़ सकते है । जो चाहे ओ कर सकते है,कही भी जा सकते है क्योकि ये हमारे हाथ में है । इनको अपने वश ,अपने हाथ में रखना चाहिए। और जब चाहें इनका(काम ,क्रोध आदि) का उपयोग कर ले जहाँ जरुरत आवश्यकता पड़े।काम की शक्ति कोई अलग नही है , राम ही काम है या राम की ही शक्ति काम है ,जब सहश्त्रर्ध् की शक्ति मूलाधार में आ जाती है तो वह काम(reproduction) की शक्ति बन जाती है और यही शक्ति जब सहश्त्रर्ध् में चली जाती है तो वह मन (बौद्धिक) की शक्ति बन जाती है। ये काम कोई बुरी नही है। बुरी बात ये है की ये हमारे हाथ में नही है नियंत्रण में नही है । काम, क्रोध ,लोभ इनको हमारे हाथ में होना चाहिए । जबकि हम काम,क्रोध के आधीन चले जाते है। ये science भी कहता हैं की जब हमारे शरीर में रक्त प्रवाह blood circulation , reproduction system की तरफ होता हैं तो काम वासना शरीर में आ जाती हैं।जो हम देखते सुनते या करते हैं उसके अनुसार हमारा शरीर प्रतिक्रिया react करता हैं। और शरीर व मन में भाव विचार उत्पन्न या पैदा होते हैं और उसी तरह हम कार्य करने लगते हैं चाहे वह अच्छा कार्य, काम हो या बुरा कार्य।
- (तुम करो तो रास लीला है, हम करे तो केरेक्टर ढीला है )- ये शब्द या वाक्य भगवान श्री कृष्णा जो प्रभु श्री नारायण के अवतार हैं उनकी कथा, रास लीला को काम वासना से जोड़कर देखा जाता है जो की बिलकुल गलत है।
- रास लीला क्या हैं -- " राधा+श्री कृष्णा+रुकमणी " =रास" = रा ~राधा,रुकमणी + स ~श्याम # रास = श्री राधा और श्याम के दर्शन ,नृत्य करने उनकी प्रत्येक क्रियाकलाप, बात करना, बोलना चलना आदि को रास लीला कहते है ।।अनाहद योग जिसमे आनंद ही आनंद हैं स्वम् ख़ुद के अन्दर आनंद है जिसमे आनंद ,मजा के लिए किसी बाहरी वस्तु ,अन्य किसी की आवश्यकता नही पड़ती है, वही रास है । आनंद भगवान श्री कृष्णा का ही स्वरुप है,इसीलिए कहा जाता है "नन्द के घर आनंद भायो रे जय कन्हैया लाल की" । आनंद शब्द का कोई विलोम नही है। लेकिन सुख का विलोम दुःख है, ये एक दूसरे के पूरक है। हमे जो भी सांसारिक आनन्द प्राप्त होता है, वह दूसरी वस्तुओं ,और सांसारिक संसाधनों,टीवी मोबाइल नृत्य, गाने ,संगीत आदि से प्राप्त होता है।जबकि हमारे अन्दर ही परम् आनन्द है, प्रभु दर्शन में आनन्द है।
क्या कोई मिटटी के टीले या कार को भी अपनी अंगुली से उठा सकते है ।
लेकिन आश्चर्य है की लोग भगवान से अपनी तुलना करने लगते है।
जिन्हें प्रभु का प्रेम, कृपा,रहमत चाहिए या जीवन में विकास करना हैं अपने लिए, देश का व समाज के लिए वह प्रभु God ख़ुदा की बात मानते हैं। अपने आप को God ख़ुदा अल्लाह, भगवान के अवतार,रूप ,दूत या भगवान के समान अपने आपको नही बताते हैं। भगवान ,माता पिता के समान हैं या उनसे बढ़कर भी हैं।यदि माता पिता का प्रेम व आशीर्वाद चाहिए तो उनके पास बालक बनकर रहो।इसी तरह भगवान से कुछ चाहिये या माँगना हैं जीवन में कुछ बनना तो बालक बनकर जाओ या रहो कोई भगवान से अपनी तुलना मत करो। बच्चे सभी का मन मोह लेते हैं क्यों क्योकि ओ साफ़,सरल ह्रदय के होते ।
ये श्रीमद् भगवत कथा ऐसे व्यक्ति संत श्री शुकदेव जी महाराज ने लिखी है जिस पर काम वासना, क्रोध ,लोभ का कोई प्रभाव ही नही हुआ है।आज कल कुछ पाखंडी लोग भगवान ,श्री कृष्णा की रास लीला को गलत अर्थों में ले कर पाखंड कर रहे है ,ऐसे लोग तो ख़ुद भी नरक में जाते हैं और अपने अनुयायी को भी नरक में ले जायेंगे। जैसा की आप ने समाचार पत्रों में और न्यूज़ चैनेलों के माध्यम से ऐसे पाखंडियों के बारे में आप को सुनने को मिलता है ।ऐसे लोगो को प्रभु सद् बुध्दि दे जिससे सदमार्ग पर चल सके।
व्यक्ति काम की वासना हवस में स्त्रियों पर जुल्म या अत्याचार क्यों करता हैं :
काम भोग के क्रोध, गुस्सा को हवस ,वासना कहते हैं। जब व्यक्ति हवस ,वासना का मतलब गुस्सा में होता हैं तो उसे उस समय कुछ समझ मे नही आता हैं की वह क्या कर रहा हैं, जब हवस,वासना (जिसे हम काम का गुस्सा कह सकते हैं शांत होती हैं तब हमे समझ में आता हैं कि हमने क्या गलती किया हैं और पाश्चाताप होता हैं। यहाँ तक की कुछ लोग काम भोग करने के बाद अपने आप को दोषी मानने लगते हैं या अपने आप से नफ़रत करने लगते हैं। ये सब वासना,हवस के कारण होता हैं। जब वह वासना रूपी गुस्सा में होते हैं तो उन्हें खुद भी पता नही चलता कि क्या वह सही या गलत करते हैं ।क्योकि क्रोध angry होने पर किसी को कुछ समझ में नही आता हैं तो मजा,आनंद लेने की तो बात ही छोड़िए ।क्योकि क्रोध या गुस्सा अपने आप में ही एक सजा हैं ।जो कोई व्यक्ति क्रोध करता हैं तो वह अपने आपको ही सजा देता हैं। दूसरों को नुकसान से ज्यादा अपने शरीर, मन,इज्जत मन सम्मान को ठेस पहुचाता हैं। यही बात काम पर भी लागू होती हैं।वासना,हवस काम भोग रूपी गुस्सा के आधीन होकर काम भोग करता हैं उस समय अपना नुकसान तो करता ही हैं, साथ ही दुसरो का नुकसान व विनाश करता हैं। यही कारण हैं की व्यक्ति काम वासना में स्त्रियों के ऊपर अत्याचार करता हैं काम sex किसी का नुकसान नही करता हैं। हवस,वासना करती हैं। वासना भी नही करती जितने व्यक्ति के कर्म जिम्मेदार हैं।
आपको कहीं भी संसार जगत में कॉलेज यूनिवर्सिटी या फ़िल्मो मे काम ,क्रोध,लोभ,मोह के बारे में किस तरह इन्हें अपने controll वश में करना हैं। नही बताया जाता हैं या सिखाया जाता हैं।काम भोग के क्रोध, गुस्सा को हवस ,वासना कहते हैं। जब व्यक्ति हवस ,वासना का मतलब गुस्सा में होता हैं तो उसे उस समय कुछ समझ मे नही आता हैं की वह क्या कर रहा हैं, जब हवस,वासना (जिसे हम काम का गुस्सा कह सकते हैं शांत होती हैं तब हमे समझ में आता हैं कि हमने क्या गलती किया हैं और पाश्चाताप होता हैं। यहाँ तक की कुछ लोग काम भोग करने के बाद अपने आप को दोषी मानने लगते हैं या अपने आप से नफ़रत करने लगते हैं। ये सब वासना,हवस के कारण होता हैं। जब वह वासना रूपी गुस्सा में होते हैं तो उन्हें खुद भी पता नही चलता कि क्या वह सही या गलत करते हैं ।क्योकि क्रोध angry होने पर किसी को कुछ समझ में नही आता हैं तो मजा,आनंद लेने की तो बात ही छोड़िए ।क्योकि क्रोध या गुस्सा अपने आप में ही एक सजा हैं ।जो कोई व्यक्ति क्रोध करता हैं तो वह अपने आपको ही सजा देता हैं। दूसरों को नुकसान से ज्यादा अपने शरीर, मन,इज्जत मन सम्मान को ठेस पहुचाता हैं। यही बात काम पर भी लागू होती हैं।वासना,हवस काम भोग रूपी गुस्सा के आधीन होकर काम भोग करता हैं उस समय अपना नुकसान तो करता ही हैं, साथ ही दुसरो का नुकसान व विनाश करता हैं। यही कारण हैं की व्यक्ति काम वासना में स्त्रियों के ऊपर अत्याचार करता हैं काम sex किसी का नुकसान नही करता हैं। हवस,वासना करती हैं। वासना भी नही करती जितने व्यक्ति के कर्म जिम्मेदार हैं।
ज्यादा हुआ तो कैसे काम( sex),क्रोध करके लड़ाई करना हैं,भोग वासना करना हैं या लड़की को वश में करने के टिप्स ज़रूर सिखा देते हैं ।और सिखाते भी हैं, टीवी में फ़िल्मो में आप तो जानते ही होंगे की एक भोग वासना का सीन दृश्य जरूर होता हैं। कार ,गाड़ी चलना तो सिखा दिया अब उसे कैसे रोकना हैं अपने वश मे या नियंत्रण में करना हैं वह भी बताना,सिखाना चाहिए। यदि आपको कोई वाहन चलाना आता हैं तो वह कोई भी मार्ग रास्ता ( पथरीला, ऊबड़ खाबड़ या भीड़ भरा )हो आप चला लगे और जहाँ पहुँचना हैं ,जाना हैं पहुँच भी जाते हैं। इसी तरह काम भी हैं। कामदेव भी भगवान श्री कृष्णा के पास जाता था लेकिन कुछ नही कर पता था ।क्योकि काम उनके वश controll में था। ऐसी ओ विद्या जानते थे।
Conclusion :-
काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार के बारे मे हम किसी से जानना चाहे तो लोग कहते हैं कि ये मन के विचार हैं, ये विचार के आलावा भी और बहुत कुछ हैं और इसका इलाज क्या करेगे ज्यादा हुआ तो मन mind का operation कर देगे,medicine,कोई थैरेपी या योग व्यायाम exersice बताते हैं। तो कोई वासना को शांत करने की दवा या exercise भी नहीं करेगे कही नपुंसक न बन जाये या हमारी भोग करने की शक्ति न कम जाएं। काम भोग वासना बढाने की दवा ले लेते हैं लेकिन इसको वासना को नियंत्रण करने के बारे में सोचते भी नही हैं। योग और exercise भी उतना प्रभाव मन में नही डाल पाते हैं। फिर भी exersice से शरीर को फिट रखता हैं। operation या औषधीय से मन तो शांत हो जायेगा लेकिन काम की शक्ति भी जा सकती हैं ।और जिसके पास काम( सेक्स) की शक्ति नही रहेगीं तो उससे विवाह कौन करेगा उसका वंस कैसे चलेगा सन्तान उत्पत्ति कैसे होगी । इसलिये काम भोग सेक्स की शक्ति power भी जरूरी हैं। जैसे भगवान शिव जी ने जब कामदेव lord ऑफ़ sex को अपनी योग शक्ति से जल दिया था तो सारा संसार ही रुक गया था। बहुत विकट परिस्थिति पैदा हो गयी थी।
तो इसका सरल सहज उपाय निवारण इलाज क्या हैं जिससे हम काम भोग का मजा आंनद भी ले पाये और इन्हें अपने वश controll में भी रख पाएं जिससे दुसरो व अपना भी नुकसान न हो । ये साधारण से सरल दिव्य बीज मन्त्र Divine beej Mantra हैं जिनका कुछ या थोड़े समय मात्र में जप करने से आपको सारी चीजे समझ में आने लगेगी।काम वासना,क्रोध आपके controll वश में आ जाएंगे। यदि काम की शक्ति नही हैं तो वह भी आपके पास आ जायेगी कोई दवा लेने के लिए किसी वैद्य डॉक्टर्स के पास भटकने, जाने की जरूरत नही पड़ेगी।
(परम् पूज्य सदगुरुदेव जी के प्रभु कृपा ग्रंथ "मयख़ाना" के अंंश है)
यहाँ पर मयख़ाना का मतलब प्रभु (भगवान) से है,पैमाना का अर्थ दिव्य बीज मंत्रो से है । "श्री कृष्णा साक़ी बन लाय गीता रूपी पैमाना
कर्मक्षेत्र में तत्पर होकर पीटा अर्जुन रूपी दीवाना
आध्यात्म की हाल पीकर पाश्विक वृतियां छूट गयी
मन वाँछित फल मिलता उनको जो जो पूजें
मयख़ाना"

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