"fb:pages" content="183980025505256" /> Spiritual and modern life: गुरु (सदगुरु) की क्या पहचान हैं

सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

गुरु (सदगुरु) की क्या पहचान हैं

      
          ।। गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः
            गुरु साक्षात् परम ब्रम्हा तस्मै श्री गुरुवे
                                नमः।।
 
            सदगुरु क्या हैं? सदगुरु कैसे होने चाहिए? सदगुरु से                               हमे क्या मिलता है?
       ऊपर दर्शायी गयी लाइन का अर्थ है ,कि -- "गुरु ही भगवान श्री ब्रम्हा,विष्णु,और महेश है। और गुरु ही साक्षात् परम् ब्रम्हा है,ऐसे श्री गुरुदेव को नमस्कार है"।
         ऐसा हम इनका मतलब अर्थ जानते है।इसके अनुसार जो गुरु(शरीर)रूपी गुरु है ओ अपने आप को ही गुरु मनवाने लगते है,और अपने आप को श्री ब्रम्हा,विष्णु और भगवान शिव जी के समान मानने लगते ।शरीर रूपी गुरु होता ही नही है ।इंसान की जो body है ओ गुरु नही है ।। ' शरीर से पार का नाम गुरु है' ।।  कुछ लोग तो teacher या trainer को गुरु मानने लगते है।teacher को केवल subject का ज्ञान रहता है, teacher का भी सम्मान करो। लेकिन गुरु को संसार का ज्ञान रहता है। वह सब कुछ जनता है। जो गुरु स्त्रियों से एकान्त में ,अकेले मिलता है वह गुरु नही 'ठग' है ।फिर उसके बाद जो पांखड और जिस तरह की हरकते करते है,और लोगो को ठगते है ,ओ आप सभी जानते है। इस तरह करने से आम जान मानस के मन में संशय,शंका आ जाती है,क़ि आखिर सदगुरु कौन है?
                          "सदगुरु (गुरु) का अर्थ है,जो अज्ञान से प्रकाश की ओर ले जाता है वही सदगुरुदेव है"। तो सदगुरु का फिर मतलब क्या हैं?
                        गुरु का मतलब है, जो ऊपर दी हुयी लाइने है उनका अर्थ है  "भगवान ब्रम्हा ही गुरु है, भगवान श्री विष्णु ही गुरु है, भगवान शिव जी ही गुरु है। और परम् ब्रम्हा ही गुरु हैं"। ऐसे गुरु को नमस्कार है। इसका ये मतलब है।
                         गुरु किसी भूख का नाम नही है, जो किसी चीज़ का भूखा है,जैसे  -
  •                                 नाम (fame)
  •                                 काम (काम,वासना,sex)
  •                                  दाम (पैसे,सम्पति) आदि  का जो भूखा, प्यासा है जिसे पैसे का मोह है,स्त्री का मोह है,और तो कुछ जो संत बने रहते है उन्हें धन,स्त्री नही चाहिए लेकिन उनका नाम हो जाये प्रसिद्ध हो जाये,लोग जानने लग जाये इसकी लालसा रहती है ये सभी गुरु नही हो सकते क्योकि ये खुद काम वासना,लालसा,नाम के चक्कर में पड़े है,ओ दूसरों को क्या शिक्षा देगे। जैसे पत्थरों के समूह में तैराने का ज्ञान पत्थरों में कहाँ से हो सकता है, अर्थात जिसे खुद तैरना नही आता ओ दुसरो को क्या तैरायेगा ।  
" इसलिए योग्य विचार करके ब्रम्ह ज्ञानी तत्व निष्ठ गुरु की शरण लेनी चाहिए।जिस गुरु के पास जा कर समस्या ,कष्ट, परेशानी से मुक्ति छुटकारा पाने के लिये किसी और के पास फिर ना जाना पड़े और कही और न भटकना पड़े चाहे वह समस्या तन ,मन,धन किसी भी प्रकार की हो, यदि इस प्रकार जो समाधान कर सकते है ओ गुरु है । नही तो काहे का गुरु जो आपकी समस्या का समाधान नही कर सकता। गुरु के विषय में यदि आपको विस्तार पूर्वक जानना है तो आप श्री 'गुरुगीता ' जी नामक स्त्रोत पढ़ सकते है।"

Note :-यदि कोई गलत व्यक्ति या ठग व्यक्ति जज,पुलिस ,या किसी जाँच अधिकारी का भेष(रूप) रखकर बेबकूफ़ या मूर्ख बनाता हैं ठगता हैं। तो वह व्यक्ति दोषी हैं । जिसने लोगो को वह भेष या रूप धर कर ठगा व मूर्ख बनाया हैं। इस तरह लोग करते हुए पकड़े भी जाते हैं। 
                       इसी तरह कुछ गलत लोग साधु, संत बनके लोगों को ठगते हैं। कुछ तो साधु के भेष में व्यापारी हैं business चला रहे हैं। ऐसे ठग बिज़नस मैन साधुओं से लाख गुना ठीक आजके business man हैं। और कुछ साधु तो धन लोगो के धन हरण करने के साथ साथ काम वासना व्यभिचर दुराचार गलत काम क्र रहे हैं।
         इस तरह के लोगो को आप साधु संत भगवान या भगवान का अवतार मान बैठते हैं। और फिर कहते हैं की उस साधु ने हमे ठग लिया या मूर्ख बना दिया । इसमें गलती आपकी हैं जो साधु हैं ही नही उसे भी आप साधु मान बैठते हो  और फिर साधु से नफ़रत करने लगते हो और सबको गाली देने लगते हो  ये पूजा पाठ कुछ नही हैं सब ऐसे ही लोगो को ठगने के लिए लोग ठगने के लिए साधु बन जाते हैं। 

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