"fb:pages" content="183980025505256" /> Spiritual and modern life: पति परमेश्वर

सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

पति परमेश्वर

          पति परमेश्वर जिसका साधारण सा मतलब है , जो लोग समझते है हमारी भारतीय संस्कृत में कि जो उनका पति (husband) ओ परमेश्वर है,भगवान है
                                   जो की बिलकुल गलत है जिसका मतलब लोग समझते है की ये उनका पति ही परमेश्वर है, इसका मतलब अर्थ है हम सबका( स्त्री,पुरुष,बच्चों, आदमी,जानवर)  पति (मालिक) परमात्मा है,परमेश्वर है । इसका ये अर्थ है। ये शरीर का ढाँचा पति नही है,यदि शरीर परमेश्वर है तो स्त्री का शरीर क्यों नही परमेश्वर हो सकता है। ये भ्रान्ति हम सबने अपने मन में बना ली है। इस तरह से पाखंड फैलता है और हम परमात्मा से दूर चले जाने लगते है। और इस शरीर को ही परमात्मा मानने लगते है,जो की ये गलत है। एक परमात्मा ही है जो सदा रहने वाला है । अंग,संग और सदा ।  
  •           "इस तरह में पति अपनी पत्नी के साथ emotional blackmailing ,करने लगता है कि मैं तेरा पति परमेश्वर हूँ । तू मुझे सम्मान नही देती है, मेरे कार्य नही करती है।और पुरुष, स्त्री को अपने से छोटा बना देता है।जबकि भगवान ने दोनों को बराबर बनाया है।किसी एक के बिना ये दुनिया चल नही सकती है।"

   सार ::  --ऐसा नही है की स्त्री फिर अपने पुरुष,पति का सम्मान न करें। ओ अपने पति व्रत धर्म का पालन भी करे और जोें सच में पति परमात्मा है उसे दोनों पति-पत्नी परमात्मा ही माने ।           हम सबका पति मालिक प्रभु है,इसीलिए भगवान शिव जी को "पशुपति"नाथ जी भी कहते है क्योकि वही मालिक है, अभियंता, नियंता है। एक संत कहता है कि मेरे आश्रम में स्त्री को नही लाना ,यदि स्त्री से इतनी नफरत है तो तू परमात्मा से बोल देता मुझे स्त्री के गर्भ (माँ के पेट) में तुझे आना ही नही चाहिए था।
                स्त्री एक माँ है,बहन,बेटी है और एक पत्नी है।स्त्री स्वम् दुर्गा माँ है। जहाँ स्त्री का सम्मान नही होता वहा देवता भी नही आते है। यदि जीवन में सुख चाहिए स्त्री(माँ,बहन,बेटी या पत्नी )जो भी हैं उसे खुश् रखो। अभी जीवन में खुशियाँ आयेगी और जीवन स्वर्ग आयेगा ।
                              

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