"fb:pages" content="183980025505256" /> Spiritual and modern life: अक्टूबर 2017

सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

मृत्यु से पहले मुक्त्ति (मोक्ष)

             " इस जीवन में मरने के बाद मुक्ति मिली तो क्या                        मिली ज़ी  कर भी जो चीज़ न मिली मरने                                बाद क्या पता मिले या न मिले "।

 आपने देखा होगा या सुना होगा की कुछ गुरु कहते है कि मारने के बाद तुम्हे मोक्ष, मुक्ति मिलेगी या ज़न्नत में जाओगे । लेकिन जीते ज़ी हमे क्यों मोक्ष, मुक्ति क्यों नही मिल सकती है, आखिर क्या प्रॉबलम है अभी मुक्ति और ज़न्नत मिलने में और क्या पता मारने बाद मिलती भी है या नही । इस तरह की भ्रामक एवम् तर्कहींन बाते करते है। जिसका कोई औचित्य नही है।
           1.#      हमे  अपने पापों दुःखो से कष्टो समस्याओं से अलग होना छुटकारा पाना ही मुक्ति है। किसी चीज से अलग होना ही मुक्ति है किसी समस्या से छुटकारा get rid of मिलना ही मुक्ति है, एक भारतीय हिन्दू सनातन धर्म मर्यादा सम्प्रदाय है जिसमे मुक्ति के बारे में बात कही गयी है और कही और आपको मुक्ति के बारे कोई ग्रन्थ किताब नही मिलेगी कुछ में ज़न्नत तक के लिए ही बताया गया है मुक्ति है ही नही और कुछ में तो आत्मा परमात्मा है ही नही बस ये nature कुदरत और साइंस हैं एक सनातन धर्म है जिसमे मुक्ति के बारे में बताया गया है।
            2.#            भाव सागर से पार होना इसी को मोक्ष कहते है -हमारे जो भाव विचार है, या हमारा होना जैसे की हम डॉक्टर है ,इंजीनयर है नेता है , या खिलाडी है या फ़िल्म के हीरो अभिनेता कलाकार है इन सबका होने का मन में विचार ही न आये की मैं ये, ओ, कुछ बन जाऊ इसी को भाव सागर से पार होना कहते है। हमारे मन में कुछ विचार ही न आये बनने being का मुझे नही लगता की कोई ऐसा चाहेगा की मेरे मन में कुछ बनने का विचार न आये । इसी को मोक्ष कहते है मोक्ष का मतलब है मोह +अक्षय मोह का अक्षय हो जाना मोह का क्षय क्षरण होना ही मोक्ष है,यदि मोक्ष हो गया तो कौन माता-पिता अपने बच्चों को प्यार करेगें ।कौन प्रेमिका अपने प्रेमी से प्रेम करेगीं ।जब मोह ही नही रहेगा तो कैसा लगाव ,और क्या प्रेम।                                             इसीलिए मोह भी ज़रूरी है।  मोक्ष तो व्यक्ति की अंतिम अवस्था है जब सारा जीवन मनुष्य जी लेेेता है तब अंत में मोक्ष की इच्छा करता है ।सब कुछ छोड़ देना ही मोक्ष है।इसी को वैराग्य भी कहते है,जो भगवान महावीर को भी हुआ था।  ( परम् पूज्य सदगुरुदेव श्री ब्रम्हऋषि 'श्री कुमार स्वामी जी' के द्वारा रचित पुस्तक 'मृत्यु से पहले मुक्ति' पुस्तक में विस्तार पूर्वक वर्णन है। )

Note


क्या दिव्य बीज मंत्रो से ठीक(cure) हो सकते है, रोग (diseases) वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ

             क्या प्रमाण है, क्या तथ्य(fact) व मेडिकल रिपोर्ट है, की दिव्य बीज मंत्रो से सरलता,सहजता से वैज्ञानिक प्रमाण के साथ दुःखो व रोगों से मुक्ति मिलती है।
                         इसमें विश्वास करने की कोई जरूरत या आवश्यकता ही नही है । क्योंकि जैसे की सूर्य है उस पर कोई विश्वास नही करता है की सूरज प्रकाश, रोशनी, electricity देता है या ये mobile phone है इससे कितनी भी दूर person व्यक्ति हो उससे बात हो जाती है या बात की जा सकती है ये सभी जानते है। इसमें कोई विशवास करने की भी आवश्यकता नही है। ये हर व्यक्ति जनता है। सूर्य या मोबाइल फ़ोन या अन्य संसाधनों की एक लिमिट सीमा या परिधि (boundetion) या पहुँच है।लेकिन दिव्य बीज मन्त्र बन्धनों या लिमिट भी से पार है । दिव्य बीज मन्त्र भी एक science हैं (ancient traditional Secret science)

                      सीमित शब्दों में जान लेते है की दिव्य बीज मन्त्र क्या है, ये प्रभु के ओ  unlock निष्कीलित किये हुए नाम हैं जिनका नाम लेने से या जपने से हमारे तन के मन के व धन की समस्याओं का निवारण (get rid of) सहजता या सरलता से हो जाता है। इसमें न कोई वर्षो या घंटो तपस्या करने की हमे आवश्यकता है।क्योकि हमारे लिए स्वयम् परम् पूज्य सदगुरुदेव जी पाठ या तप करते है या तप या पाठ करने बाद हमे  हम सबको ये दिव्य बीज मन्त्र प्रदान करते है।फिर हम कुछ ही मिनट या समय पाठ करते है और ठीक होते है या हो जाते है।          " भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम ही ऐसा आध्यात्मिक centre है जहाँ प्रभु,संतो,महात्माओं व वरिष्ठ जनों के आशीर्वाद के साथ वैज्ञानिक रूप से प्रभु की कृपा या उनके होने, उपस्थिति, मौजूदगी का आपको स्वयम् अनुभव कराया जाता है या करते हैं या होता है "।
            "       बुरा इसे चाहे जितना कह लो तुम
                      ज़ी भरकर नफ़रत कर लो
              कल तुम स्वयम् कहोगे सबसे बढ़कर
                               मयख़ाना।     "
          Conclusion -    जब हमे स्वयं अपने दुखों व बीमारियों से मुक्त्ति मिलती है तो हमे स्वयं पता चल जाता है। इसके लिए किसी doctor या मेडिकल रिपोर्ट की जरूरत या आवश्यकता नही पड़ती ।हां रोगों की सत्यता जाँचने के लिए की क्या ये सच में रोग dieases ठीक क्योर हुए है की नही इसके लिए (bslnd) में एक मेडिकल बोर्ड या doctors की एक टीम है या आप स्वयम् आप दिव्य बीज मंत्रो का पाठ कीजिये और check कर लीजिए या डॉक्टर्स से जाच करवा सकते हैं लेकिन जब आपकी बीमारी या समस्या का समाधान  या ठीक हो जायेगी तो आप को स्वयम् पता चल जायेगा।किसी दूसरे के बताने की जरूरत नही पड़ेगी क्योकि आप खुद ही अपने शरीर के बारे में खुद ही जानते है की कहाँ या किस जगह problem थी और ठीक हुयी की नही। बस इतनी सी बात है । दिव्य बीज मंत्रो के बारे में की जब आप स्वयं self ठीक हो जायेगे तो किसी प्रमाण proofकी आवश्यकता नही पड़ेंगे।या मेरा मानना हैं।
            Science Meets Spirituality
Since the beginning of the nineties, His Holiness Brahmrishi Shree Kumar Swamiji has travelled around India and the world to convey his message. Initially, the scientists and spiritual thinkers were not ready to look at spirituality from a scientific angle. However, Gurudev�s path of presenting a scientific form of spirituality helped eradicate several speculations. Today, more and more people from the science fraternity are eagerly embracing and accepting the tools of Ancient Traditional Science Secrets

सब रोगों का मूल कारण क्या है ?

                आजकल हमे जितना विकास मिला है या जितना विकास कर रहे है,उतनी ही बीमारियां,रोग,कष्ट हो रहे है। हम दवाइयाँ(medicine) खा-खाकर ,डॉक्टरों के चक्कर काट -काट के थक गए है फिर भी नही ठीक हो रहे है।और कुछ diseases को तो मेडिकल साइंस और डॉक्टरों ने तो असाध्य घोषित कर दिया है, की ये रोग,बीमारिया ठीक नही हो सकती है,इनके लिए आपको जीवन भर मेडिसिन दवाइयाँ लेनी पड़ेगी।

                              लेकिन इन सब बीमारियों, रोगों का मूल कारण क्या है ?  # आजकल की लाइफ स्टाइल(जीवन शैली) #अपनी संस्कृति (परमात्मा का नाम) को भूलने के कारण या # सिर(head) में मौजूद रुसी(dandruff) जिसे सिकरी रोग भी कहते है ।
                       1. आजकल की हमारी जिस तरह की जीवन शैली,खान-पान हैं वह भी कष्ट,बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं, अमर्यादित काम भोग वासना में लिप्त होना और अपनी संस्कृति भूलने के कारण ,प्रभु परमात्मा का नाम भूलने से हमे जीवन में समस्याये होती है।
          2. " लेकिन हमने तो कहीं नही पढ़ा (study) की भगवान का नाम भूलने से कष्ट,बीमारियां होती है  बीमारियां तो जीवाणु, कीटाणु व viral, fungal से होती है इस तरह science भी कहता है। ये हम जानते है और ये सत्य भी है। लेकिन ये गुरु ग्रन्थ साहिब में ,वेदों,पुराणों में वर्णित है की परमेश्वर तो भुलयै व्यापै सबै रोग ।मतलब प्रभु का नाम भूलने से बीमारी,problem होती है और हमारे बुरे कर्मो से।आज के युवा वर्ग व शिक्षित वर्ग कहते है की हमने किसी subject, college यूनिवर्सिटी में नही पढ़ा है कि God, भगवान का नाम भूलने से समस्या या बीमारिया होती है। आपने नही पढ़ा क्योकि  ये जो education system है ओ  सब western (पाश्चात्य जगत ) द्वारा चलाई जाती है चाहे ओ business ,marketing या scienceहो। ओ स्वयम् आत्मा परमात्मा को नही मानते हैं क्योकि उनके मन,बुद्धि विचार व science की पकड़ में परमात्मा आता ही नही है।  विज्ञान के microscope ,instrumentया doctors, scientistकी खोजो,जाँच में कही और संसार world में भगवान मिला या दिखा ही नही। इसी तरह कोई कहता हैं आत्मा परमात्मा शरीर के अंदर बाहर है । इसे भी साइंटिस्ट व डॉक्टरों ने  human body के अंदर बाहर जाँचा परखा फिर भी आत्मा परमात्मा नही मिलता या नही दिखता है। क्यों नही मिलता भगवान science की जाँच में क्योकि भगवान  पंच तत्वों element ,परमाणु ,science की खोजों से पार का नाम है 'भगवान (God)'। "   
3. सिर head में मौजूद डैन्ड्रफ एक ऐसा फ़ंगल funggle जिससे हमे आधे से अधिक शारीरिक व मानसिक रोग डिप्रेसेंन् , एलर्जी, सर्दी जुकाम, कैंसर,चर्म रोग, ट्यूमर ,कब्ज,डायबिटीज तक बीमारियां इस डैन्ड्रफ के कारण हो रही है।.                   
। हम सभी डैन्ड्रफ साफ़ करने के लिए सैंपू hair wash का इस्तेमाल करते है, लेकिन इसमें इतने खतरनाक केमिकल होते है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियां होती है,इसे आप विकिपीडिया में भी सर्च करके देख सकते है, आयुर्वेदिक औषधियो से भी ये डैन्ड्रफ fungul ठीक नही होता है। और सैंपू जिससे ठीक नही होता है,इसका इस्तेमाल कर करके हम देश का लाखो करोड़ो रूपए यूँ ही बहा देता है,और कोई इलाज भी नही होता है।
  • इलाज़( cure) ___
                     समस्त समस्याओं चाहे वह जीवन की dieases या problem हो वह सब परमात्मा का नाम(दिव्य बीज मन्त्र) जपने से जीवन की समस्याओं का समाधान होता हैं। संसार में यदि रोगों का इलाज देखे तो 90percent रोग ठीक cure होते ही नही हैं या उनके लिए हमे ,लोगों को सारी जिंदगी दवाईया medicine या इंजेक्शन लेना पड़ता हैं। चाहे वह आयुर्वेद हो या medical science । सारी पैथी में लोग इलाज करा करा के थक जाते हैं। जैसे डैन्ड्रफ हैं जिसे सिकरी रोग भी कहते देखने में यह मामूली साधारण सी बीमारी लगती हैं,लेकिन हैं बहुत खतरनाक हैं आधे से अधिक रोगों का कारण ये डैन्ड्रफ हैं।#.डैन्ड्रफ का इलाज अभिमंत्रित औषधियो (भगवान का नाम जप कर) का प्रयोग करके सिर को धोने पर ये कुछ ही मिनटो में साफ़ हो जाता है ,ठीक हो जाता है। इसका प्रमाण( Guiness world record in dandruff treatment )में दर्ज़ है। एक साथ कई लोगो की डैन्ड्रफ ठीक हुयी है। ये मै आपको वीडियो का लिंक दे रहा हूँ । https://youtu.be/vO9IHOptJbA
आप भी देख सकते है।कैसे ठीक हुयी हैं।भगवान शिव जी ने ( शिव रस समुच्चय सार)  में कहा है बिना मन्त्र के ये आयुर्वेदिक औषधिया सूखी लकड़ी के समान हैं।इसीलिए आयुर्वेदिक दवाइयाँ का प्रभाव कम व न के बराबर होता हैं।  दिव्य बीज मन्त्रो का पाठ करने से सभी प्रकार के सुख, वैभव और सम्पदा मिलती है। ये पाठ आप भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम से प्राप्त कर सकते है।cosmic grace.org.      

मन्त्र, वेद, पूजा पाठ ,और नाम जप लिए फिर भी दुखो से क्यों मुक्ति नही मिल रही है?

           
          ।। भुक्ति मुक्ति प्रदम् पुत्र पौत्रादिकम तथा धन                            धन्यादिकम सर्व लभते तेन निश्चितम् ।।

         भगवान शिव जी माँ पार्वती जी से कहते है, हे! पार्वती प्रभु का नाम(बीज मन्त्र) का जप करने से भक्ति, मुक्ति, पुत्र, पौत्र,धन ,सम्पदा,यश,वैभव आदि सब कुछ मिलता ।ये निश्चित            फल मिलता है,ये भगवान शिव जी कहते है।
 लेकिन आज हम जब मंत्रो ,वेंदो में वर्णित प्रभु के नाम का पाठ, जप करते है,जैसा की हमारे ग्रंथों ,शास्त्रो, पुराणों या कही और महिमा कही गयी है,की ये जप या पाठ करने से ये फल मिलता है,लेकिन हमे ओ लाभ ,कृपा उनती नही मिलती जितना की ग्रंथों ,वेदों ,पुराणों में बताई गयी है। इसका क्या कारण हैं,
                इसका क्या कारण है,जब गंगा जी में स्नान या डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति नही मिल पाती है या उतना फल क्यों नही मिलता जितना मिलना चाहिए? यदि गंगा जी में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल गए तो आपकी हमारी दुःख ,तकलीफ क्यों दूर नही होती या नही हुयी। कुछ लोग तो गंगा जी में डुबकी लगने से ठीक हो जाते है। लेकिन90 percent ठीक नही होते। क्या माँ गंगा में कमी है? या हम सब मे कमी है?
  •           इसका 1.# कारण है की ओ व्यक्ति person जो ठीक नही हो रहा है, ओ महा पापी है,उस व्यक्ति ने जघन्य अपराध किये है। दूसरा कारण हम तप करना भूल गए है,  "तपो राज् राजो नरक" तप करने से हमे राज मिलता है। और उसी तप को भूलने से नर्क मिलता है। तप का मतलब  'भगवान का नाम'  जपने से है।  इसका 2.#  कारण है की हमारी जो पुरातन सनातन संस्कृति(भगवान का नाम) है,उसे हम भूल गए है mordenबनने के चक्कर में हम western culture के पीछे पागलो की तरह घूम रहे है। western culture कोई बुरी नही है,उसने हमे विकास दिया हैं, science, खोजे,technology दी है। लेकिन गलती ये है कि हम अपने culture( दिव्य बीज मन्त्र) को भूलते जा रहे है उसे ओ सम्मान नही दे रहे है । ये मन्त्र क्यों कार्य,कृपा नही करते क्योकि इनके जो निष्कीलान् password थे ओ खो गए है।जो इसको बताने वाले है वही निष्कीलान् मन्त्र नही जानते है । इसका यही मूल कारण है। जैसे की श्री दुर्गा सप्तशती है,उसे भगवान शिव जी ने Lock कर दिया है,बिना निष्कीलान् मंत्रो के दुर्गा सप्तशती कृपा नही करेगी।आपके काम नही होगे। भगवान ने क्यों लॉक किया क्योंकि जो भी ये मन्त्र पा जाता था उसका दुरूपयोग करने लगता था। "गंगा जी में स्नान करने के मन्त्र है और उनके निष्कीलान् मन्त्र है उनको करके स्नान करने का फल है"।                
       Conclusion           ॐ🌞  परमात्मा का नाम बोलने,जपने से सारी समस्याएं होती है,लेकिन हमने नाम भी जप लिया फिर भी ठीक नही हो रहे हैं, तो क्या हमे परमात्मा, प्रभु पर केस,आरोप कर देना चाहिए, ये समझने वाली बात है क़ि हमें जो भी परेसानी ,कष्ट या समस्या होती है, ओ हमारे ही कर्मो का फल होता है। ओ प्रभु ,परमात्मा है,मालिक हैं ओ तत्क्षण हमे पापों और हमारे बुरे कर्मो से मुक्त कर सकते है।लेकिन यदि कोई व्यक्ति ठीक नही होता हैं, तो उसका ठीक न होना ही "ठीक" अच्छा है, क्योंकि उसने जघन्य अपराध(स्त्री पर अत्याचार, लोगो को मरना,माता-पिता को भूल जाना,गौ को मरना आदि) बुरे काम किये होंगे।यदि वह व्यक्ति ठीक हो जायेगा तो फिर से वही बुरे कर्म करने लगेगा। लोगो को जीने नही देगा।
    🌞🎂🌹   लेकिन कितना भी पापी व्यक्ति हो,चाहे ओ जघन्य अपराध किये हो। भगवान शिव जी कहते है वह व्यक्ति इन दिव्य बीज मंत्रो का पाठ करने से घोर पाप से भी मुक्त free हो जाता है। तो भगवान शिव की शरण में क्यों नही जाते हो किसी ठग को पकड़ के बैठ जाते हो।जिसके बारे में ओ खुद ही नही जनता है। दिव्य बीज मंत्रो की महिमा है।
     

पति परमेश्वर

          पति परमेश्वर जिसका साधारण सा मतलब है , जो लोग समझते है हमारी भारतीय संस्कृत में कि जो उनका पति (husband) ओ परमेश्वर है,भगवान है
                                   जो की बिलकुल गलत है जिसका मतलब लोग समझते है की ये उनका पति ही परमेश्वर है, इसका मतलब अर्थ है हम सबका( स्त्री,पुरुष,बच्चों, आदमी,जानवर)  पति (मालिक) परमात्मा है,परमेश्वर है । इसका ये अर्थ है। ये शरीर का ढाँचा पति नही है,यदि शरीर परमेश्वर है तो स्त्री का शरीर क्यों नही परमेश्वर हो सकता है। ये भ्रान्ति हम सबने अपने मन में बना ली है। इस तरह से पाखंड फैलता है और हम परमात्मा से दूर चले जाने लगते है। और इस शरीर को ही परमात्मा मानने लगते है,जो की ये गलत है। एक परमात्मा ही है जो सदा रहने वाला है । अंग,संग और सदा ।  
  •           "इस तरह में पति अपनी पत्नी के साथ emotional blackmailing ,करने लगता है कि मैं तेरा पति परमेश्वर हूँ । तू मुझे सम्मान नही देती है, मेरे कार्य नही करती है।और पुरुष, स्त्री को अपने से छोटा बना देता है।जबकि भगवान ने दोनों को बराबर बनाया है।किसी एक के बिना ये दुनिया चल नही सकती है।"

   सार ::  --ऐसा नही है की स्त्री फिर अपने पुरुष,पति का सम्मान न करें। ओ अपने पति व्रत धर्म का पालन भी करे और जोें सच में पति परमात्मा है उसे दोनों पति-पत्नी परमात्मा ही माने ।           हम सबका पति मालिक प्रभु है,इसीलिए भगवान शिव जी को "पशुपति"नाथ जी भी कहते है क्योकि वही मालिक है, अभियंता, नियंता है। एक संत कहता है कि मेरे आश्रम में स्त्री को नही लाना ,यदि स्त्री से इतनी नफरत है तो तू परमात्मा से बोल देता मुझे स्त्री के गर्भ (माँ के पेट) में तुझे आना ही नही चाहिए था।
                स्त्री एक माँ है,बहन,बेटी है और एक पत्नी है।स्त्री स्वम् दुर्गा माँ है। जहाँ स्त्री का सम्मान नही होता वहा देवता भी नही आते है। यदि जीवन में सुख चाहिए स्त्री(माँ,बहन,बेटी या पत्नी )जो भी हैं उसे खुश् रखो। अभी जीवन में खुशियाँ आयेगी और जीवन स्वर्ग आयेगा ।
                              

दिव्या बीज मंत्र और गुरु (ancient traditional Secret science )

              " भला हूँ चाहे बुरा हूँ साकी पर हूँ तेरा दीवाना
   प्राण-प्राण में डाले तुमने भरकर खाली पैमाना              
            यही हमारा जीवन है,अब यही हमारी जन्नत हैं
                   स्वर्ग लोक भी ठुकरा देगे पाने को
                       'मयख़ाना'(दिव्य बीज मन्त्र )"
             Ancient traditional Secret science:-         "जिस प्रकार किसी वस्तु, या किसी के होने का एक मूल होता,बीज होता है जिससे वह वस्तु उत्पन्न होती है, उसी प्रकार ये जो सम्पूर्ण संसार या ब्रम्हांड जिनसे उत्पन्न हुआ है उसे हम बीज मंत्र कहते है और इनके समान दूसरा इस जगत में नही है इसीलिए इन्हें दिव्य बीज मंत्र कहते है"।            
    दिव्य बीज मंत्रो से क्या हमे जीवन में क्या मिलता है क्या लाभ होता है, दिव्या बीज मन्त्र ऐसी कृपा है जिससे हमारे तन,मन,सांसारिक समस्याओं का बड़ी सहजता व सरलता के साथ दुःखो और समस्याओ का समाधान होता है। बाक़ी संसार में हम जो करते है उसमे जितना सुख मिलता है,उतना दुःख भी मिलता है, ये संसार का लॉ ,नियम है।लेकिन दिव्य बीज मंत्रो का जप करने से हमें लाभ ही लाभ है।
  •    गुरु और बीज मन्त्र  - दिव्य बीज मंत्रो को Ancient traditional Secret science भी कहते हैं।ये  बीज मन्त्र
  • कैसे कार्य करते है, बीज मन्त्र गुरु की कृपा से चलते है, दिव्य बीज मंत्रो का master मालिक भगवान शिव जी है ये उनकी आज्ञा से चलते है जैसे ट्रेन है तो वह पटरी में चलती है, कार ,वाहन हैं ये रोड सड़क पर चलते है उसी प्रकार ये दिव्या बीज मन्त्र गुरु की आज्ञा से चलते हैं।
  •             ये दिव्या बीज मन्त्र गुरु की कृपा से 
  •                           निष्कीलान्(unlock,decoding )
  •                           उत्कीलन(Excitement)
  •                     और परिहार (Avoidance )    करके इन दिव्या बीजमंत्रो का पाठ या जप करना चाहिए ,बिना निष्कीलान् ( unlock)के ये मन्त्र कार्य नही करते है,बिना password के ये मन्त्र न के बराबर है,
  • क्योकि इनका पासवर्ड ब्रम्ह ज्ञानी प्रभु के जिन्होंने दर्शन कर लिए है वही जानते है। " दिव्य बीज मंत्रो का पाठ करने पर आप के सरे काम होने लगेंगे।आप को अपने काम कराने के लिए किसी और के चक्कर नही लगाने पड़ेंगे।"
जैसे आयुर्वेदिक औषधिया है ये जितना वेदों ग्रंथों में वर्णन है उतना कार्य नही करती है, काठ(सुखी लकड़ी ) के समान है। क्यों कार्य नही करती ? क्योंकि इन आयुर्वेदिक दवाइयों को मन्त्र का पाठ करके दी जाती थी ।जो निष्कीलान् मन्त्र खो गए। अपनी संस्कृति को हम भूलने के कारण आज हमारी सबकी ये हाल दशा है ,जो भारत सचमुच महान हुआ करता था।               (दिव्या बीज मन्त्र आप भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम से प्राप्त कर सकते है।cosmic Grace.org

गुरु (सदगुरु) की क्या पहचान हैं

      
          ।। गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः
            गुरु साक्षात् परम ब्रम्हा तस्मै श्री गुरुवे
                                नमः।।
 
            सदगुरु क्या हैं? सदगुरु कैसे होने चाहिए? सदगुरु से                               हमे क्या मिलता है?
       ऊपर दर्शायी गयी लाइन का अर्थ है ,कि -- "गुरु ही भगवान श्री ब्रम्हा,विष्णु,और महेश है। और गुरु ही साक्षात् परम् ब्रम्हा है,ऐसे श्री गुरुदेव को नमस्कार है"।
         ऐसा हम इनका मतलब अर्थ जानते है।इसके अनुसार जो गुरु(शरीर)रूपी गुरु है ओ अपने आप को ही गुरु मनवाने लगते है,और अपने आप को श्री ब्रम्हा,विष्णु और भगवान शिव जी के समान मानने लगते ।शरीर रूपी गुरु होता ही नही है ।इंसान की जो body है ओ गुरु नही है ।। ' शरीर से पार का नाम गुरु है' ।।  कुछ लोग तो teacher या trainer को गुरु मानने लगते है।teacher को केवल subject का ज्ञान रहता है, teacher का भी सम्मान करो। लेकिन गुरु को संसार का ज्ञान रहता है। वह सब कुछ जनता है। जो गुरु स्त्रियों से एकान्त में ,अकेले मिलता है वह गुरु नही 'ठग' है ।फिर उसके बाद जो पांखड और जिस तरह की हरकते करते है,और लोगो को ठगते है ,ओ आप सभी जानते है। इस तरह करने से आम जान मानस के मन में संशय,शंका आ जाती है,क़ि आखिर सदगुरु कौन है?
                          "सदगुरु (गुरु) का अर्थ है,जो अज्ञान से प्रकाश की ओर ले जाता है वही सदगुरुदेव है"। तो सदगुरु का फिर मतलब क्या हैं?
                        गुरु का मतलब है, जो ऊपर दी हुयी लाइने है उनका अर्थ है  "भगवान ब्रम्हा ही गुरु है, भगवान श्री विष्णु ही गुरु है, भगवान शिव जी ही गुरु है। और परम् ब्रम्हा ही गुरु हैं"। ऐसे गुरु को नमस्कार है। इसका ये मतलब है।
                         गुरु किसी भूख का नाम नही है, जो किसी चीज़ का भूखा है,जैसे  -
  •                                 नाम (fame)
  •                                 काम (काम,वासना,sex)
  •                                  दाम (पैसे,सम्पति) आदि  का जो भूखा, प्यासा है जिसे पैसे का मोह है,स्त्री का मोह है,और तो कुछ जो संत बने रहते है उन्हें धन,स्त्री नही चाहिए लेकिन उनका नाम हो जाये प्रसिद्ध हो जाये,लोग जानने लग जाये इसकी लालसा रहती है ये सभी गुरु नही हो सकते क्योकि ये खुद काम वासना,लालसा,नाम के चक्कर में पड़े है,ओ दूसरों को क्या शिक्षा देगे। जैसे पत्थरों के समूह में तैराने का ज्ञान पत्थरों में कहाँ से हो सकता है, अर्थात जिसे खुद तैरना नही आता ओ दुसरो को क्या तैरायेगा ।  
" इसलिए योग्य विचार करके ब्रम्ह ज्ञानी तत्व निष्ठ गुरु की शरण लेनी चाहिए।जिस गुरु के पास जा कर समस्या ,कष्ट, परेशानी से मुक्ति छुटकारा पाने के लिये किसी और के पास फिर ना जाना पड़े और कही और न भटकना पड़े चाहे वह समस्या तन ,मन,धन किसी भी प्रकार की हो, यदि इस प्रकार जो समाधान कर सकते है ओ गुरु है । नही तो काहे का गुरु जो आपकी समस्या का समाधान नही कर सकता। गुरु के विषय में यदि आपको विस्तार पूर्वक जानना है तो आप श्री 'गुरुगीता ' जी नामक स्त्रोत पढ़ सकते है।"

Note :-यदि कोई गलत व्यक्ति या ठग व्यक्ति जज,पुलिस ,या किसी जाँच अधिकारी का भेष(रूप) रखकर बेबकूफ़ या मूर्ख बनाता हैं ठगता हैं। तो वह व्यक्ति दोषी हैं । जिसने लोगो को वह भेष या रूप धर कर ठगा व मूर्ख बनाया हैं। इस तरह लोग करते हुए पकड़े भी जाते हैं। 
                       इसी तरह कुछ गलत लोग साधु, संत बनके लोगों को ठगते हैं। कुछ तो साधु के भेष में व्यापारी हैं business चला रहे हैं। ऐसे ठग बिज़नस मैन साधुओं से लाख गुना ठीक आजके business man हैं। और कुछ साधु तो धन लोगो के धन हरण करने के साथ साथ काम वासना व्यभिचर दुराचार गलत काम क्र रहे हैं।
         इस तरह के लोगो को आप साधु संत भगवान या भगवान का अवतार मान बैठते हैं। और फिर कहते हैं की उस साधु ने हमे ठग लिया या मूर्ख बना दिया । इसमें गलती आपकी हैं जो साधु हैं ही नही उसे भी आप साधु मान बैठते हो  और फिर साधु से नफ़रत करने लगते हो और सबको गाली देने लगते हो  ये पूजा पाठ कुछ नही हैं सब ऐसे ही लोगो को ठगने के लिए लोग ठगने के लिए साधु बन जाते हैं। 

धर्म क्या हैं ,

                   
                          धरींग धर्याति धर्मः                        जिसने हम सबको धारण किया है वही धर्म है, हम सबको किसने धारण किया है ,सूरज, चाँदमा ,धरती,आकाश,नेचर प्रकृति को किसने बनाया हैं,जिसने बनाया है,उसी ने इन्हें संभल के रखा है,उसी ने धारण किया हुआ है वही धर्म है। परमात्मा ने ,माँ दुर्गा ने सम्पूर्ण जगत को बनाया है,उन्ही ने सम्पूर्ण जगत को धारण किया हुआ है। इसीलिए परमात्मा ही धर्म है।
                 हम सबने हिन्दू, मुस्लिम,सिख,ईसाई,जैन,बौद्ध आदि को हमने धर्म मन लिया है। ये सभी सम्प्रदाय है ।
                      जैसे हमने अपने शरीर में वस्त्र धारण कर रखे है। उसी प्रकार परमात्मा,माँ दुर्गा ने हम सबको धारण कर रखा है। हम सबका धर्म एक है,
                         "हर हर महादेव
                         सतनाम श्री वाहे गुरु
                         अल्लाह हु अकबर
                          GOd is great"
                इन सबका का मतलब एक ही है,महादेव का मतलब है, जो सबसे बड़ा है,ओ परमात्मा है। सतनाम अर्थ है,सच नाम जो सदा रहने वाला हैं, और श्री का मतलब  जो बड़ा है,अथार्त् जो सदा रहने वाला हैऔर बड़ा है,वही वाहे गुरु परमात्मा है, इसी प्रकार अल्लाह,खुदा है ,ओ अकबर है अकबर का मतलब है सबसे बड़ा ।
                                     God ही great है अर्थात सबसे बड़ा है । बस यही इन सबका मतलब हैं, अर्थ है। जैसे सूरज को इंडिया में सूरज कहते है,अमेरिका में sun कहते है,और अरब में आफ़ताब कहते है,लेकिन तीनो का मतलब तो एक ही हैं ना ।
                 आज जितने भी धर्म के नाम से युद्ध,लड़ाई,झगड़े हो रहे है ओ सब न "समझी "के कारण हो रहे है।
                  जैसे paracetamole से बुखार ठीक होता है,ये सभी मानते है चाहे ओ हिन्दू हो या मुस्लिम ,ईसाई सभी science, medicine आदि के बारे में सभी का एक मत है। लेकिन धर्म के बारे में सभी का एक मत नही है क्यों, कोई कहता है आत्मा यहाँ ,कोई कहता है परमात्मा आकाश में है,कोई कहता है,कही नही है ,कोई कहता है आत्मा, परमात्मा है ही नही बस ये nature, कुदरत है ,साइंस है।




  • आधे से अधिक युद्ध लड़ाई झगड़े धार्मिक लोग करते है। किसी को जबरदस्ती अपना धर्म माननेे के force मत करो। यदि सब की भलाई के लिए होगी तो क्यों नही मानेंगे यदि नही मानते है तो फिर भी force जबरदस्ती तो मत ही करो।

    • किसी की मंदिर मस्जिद मत तोड़ो फोड़ो अब जो बना है चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद रहने दो चाहे वह किसी भी देश या मुल्क में बना हो क्योंकि धर्म के झगड़े यही से शुरू होते है ।और हो सके तो दूसरे लोग जिस किसी चीज़ को मानते है उनकी बुराई मत करो।

       Conclusion   
                      "   God ,भगवान ख़ुदा या अल्लाह के वचन,बातें संप्रदाय कहलातीं है, और स्वयं भगवान,God ख़ुदा या अल्लाह को धर्म कहते है "।

      संप्रदाय   :- 
    पंथ,way, रास्ते हैं। भगवान ,God ,ख़ुदा,(धर्म ) को पाने  या दर्शन करने के रास्ते को सम्प्रदाय ,पंथ कहते हैं। हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई, बौद्ध,जैन,पारसी आदि सम्प्रदाय हैं।
    सम्प्रदाय की पुस्तकें :- (गीता,कुरान,जिनवाणी,धम्मपद, बाईबिल,शिवपुराण,श्रीदुर्गा सप्तसती आदि)  

             Such as example :: -
    भगवान श्री कृष्ण श्री गीता पुराण में कहते हैं  हे!अर्जुन तू"सर्वान् धर्मान परित्यज्य मामेकम् शरण व्रज "सभी धर्मों को छोड़ मेरी शरण में आ जा "। यहाँ छोड़ने से मतलब(पति, पत्नी, बच्चे, घर,परिवार, नौकरी, धन आदि को छोड़ने  से नही है।
    लेकिन उस समय( हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई) ये सारे जिन्हें आज हम धर्म कहते है जो की सम्प्रदाय(विचार या अवधारणा) है। उस समय तो नही थे । तो अर्जुन उस समय कौन सा धर्म धारण किये थे भगवान अर्जुन से कौन सा या किस धर्म को छोड़ने की बात भगवान गीता मे कह रहे है। 
                     धर्म का सीधा सा मतलब हैं रखना धारण करना। अर्जुन धारण किया हुआ था,जिन्हें अपना धर्म बनाया हुआ था वह था की मैं राजा हूँ, मैं धनुर्धारी हूँ, मै सत्यवादी हूँ,नर नारायण,देव पुत्र हूँ आदि। यही सब उन्होंने मन में अपना धर्म कहते थे या मानते थे। सच में अर्जुन जी ये सब थे। अर्जुन का सत्यवादी होना कोई धर्म नही था।अर्जुन का सत्यवादी होना(संप्रदाय की बातें हैं) मन का अच्छा सही विचार या भाव था जैसे यदि यही अच्छे,सही विचार या भाव बिना अहंकार के मन में हम रखते हैं तो अच्छा कार्य,काम मनुष्य करता हैं। यदि बुरे,गलत विचार मन में चलते हैं या होते हैं तो व्यक्ति से गलत कार्य,काम होते हैं और सजा मिलती है। ये मन के विचार,भाव हैं। ये तो थी बात विचार और कर्म के बारे में। यदि अर्जुन का सत्यवादी होना धर्म नही था तो धर्म क्या था या हैं या धर्म किसे कहते हैं? क्योकि धर्म तो ख़ुद भगवान श्री कृष्ण या भगवान के नाम हैं जिन्हें हम आज (God, ख़ुदा अल्लाह,प्रभु,वाहे गुरु भगवान बुद्ध ,महावीर) कहते हैं। एहि धर्म हैं। धर्म शब्द केवल भगवान के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए।जब अर्जुन जान गया की धर्म भगवान श्री कृष्ण ही हैं।तब भगवान ने कहा अब तू मेरी शरण में आ सकता हैं।
             
             ये सारी बाते भगवान ने हम सबको समझाने के लिए अर्जुन जी द्वारा या माध्यम से बताई या कही हैं। अर्जुन को सब पता था धर्म और अहंकार क्या हैं।

         
      
                                      
                          
                          

    बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

    अउम् नमो नारायण (राम और काम )

                          '    राम और काम :- '
    " काम शरीर की वह क्रिया या आयाम हैं जिसके द्वारा संतति (child,संतान )उत्पन्न होती हैं। ये सारा जगत प्रभु कृपा और काम से बना हैं।
                   
                      काम की शक्ति कोई अलग नही है , राम ही काम है या राम की ही शक्ति काम है ,जब सहश्त्रर्ध् की शक्ति मूलाधार में आ जाती है तो वह काम(reproduction) की शक्ति बन जाती है और यही शक्ति जब सहश्त्रर्ध् में चली जाती है तो वह मन (बौद्धिक) की शक्ति बन जाती है। ये काम कोई बुरी नही है। बुरी बात ये है की ये हमारे हाथ में नही है नियंत्रण में नही है । काम, क्रोध ,लोभ इनको हमारे हाथ में होना चाहिए । जबकि हम काम,क्रोध के आधीन चले जाते है। ये science भी कहता हैं की जब हमारे शरीर में रक्त प्रवाह blood circulation , reproduction system की तरफ होता हैं तो काम वासना शरीर में आ जाती हैं।जो हम देखते सुनते या करते हैं उसके अनुसार हमारा शरीर प्रतिक्रिया react करता हैं। और शरीर व मन में भाव विचार उत्पन्न या पैदा होते हैं और उसी तरह हम कार्य करने लगते हैं चाहे वह अच्छा कार्य, काम हो या बुरा कार्य।
                      जैसे कार, बाइक है इनके क्लच, गियर ,ब्रेक का हमे सही ज्ञान होने पर हम इन्हें चला लेते है, नही तो ये मौत है।अब जैसे हवाई जहाज हैं इससे हम हवा में उड़ सकते है । जो चाहे ओ कर सकते है,कही भी जा सकते है क्योकि ये हमारे हाथ में है । इनको अपने वश ,अपने हाथ में रखना चाहिए। और जब चाहें इनका(काम ,क्रोध आदि) का उपयोग कर ले जहाँ जरुरत आवश्यकता पड़े।
    • (तुम करो तो रास लीला है, हम करे तो केरेक्टर  ढीला है )- ये शब्द या वाक्य भगवान श्री कृष्णा जो प्रभु श्री नारायण के अवतार हैं उनकी कथा, रास लीला को काम वासना से जोड़कर देखा जाता है जो की बिलकुल गलत है।
    •        
    •             रास लीला क्या हैं -- " राधा+श्री कृष्णा+रुकमणी " =रास" =  रा ~राधा,रुकमणी + स ~श्याम # रास = श्री राधा और श्याम के दर्शन ,नृत्य करने उनकी प्रत्येक क्रियाकलाप, बात करना, बोलना चलना आदि को रास लीला कहते है ।।अनाहद योग जिसमे आनंद ही आनंद हैं स्वम् ख़ुद के अन्दर आनंद है जिसमे आनंद ,मजा के लिए किसी बाहरी वस्तु ,अन्य किसी  की आवश्यकता नही पड़ती है, वही रास है ।  आनंद भगवान श्री कृष्णा का ही स्वरुप है,इसीलिए कहा जाता है "नन्द के घर आनंद भायो रे जय कन्हैया लाल की" । आनंद शब्द का कोई विलोम नही है। लेकिन सुख का विलोम दुःख है, ये एक दूसरे के पूरक है। हमे जो भी सांसारिक आनन्द प्राप्त होता है, वह दूसरी वस्तुओं ,और सांसारिक संसाधनों,टीवी मोबाइल नृत्य, गाने ,संगीत आदि से प्राप्त होता है।जबकि हमारे अन्दर ही परम् आनन्द है, प्रभु दर्शन में आनन्द है।
                         भगवान श्री कृष्णा ने सम्पूर्ण गोवर्धन पवर्त को अपनी अंगुली से उठा लिया था ।
                                 क्या कोई मिटटी के टीले या कार को भी अपनी अंगुली से उठा सकते है ।
    लेकिन आश्चर्य है की लोग भगवान से अपनी तुलना करने लगते है।

             जिन्हें प्रभु का प्रेम, कृपा,रहमत चाहिए या जीवन में विकास करना हैं अपने लिए, देश का व समाज के लिए वह प्रभु God ख़ुदा की बात मानते हैं। अपने आप को God ख़ुदा अल्लाह, भगवान के अवतार,रूप ,दूत या भगवान के समान अपने आपको नही बताते हैं। भगवान ,माता पिता के समान हैं या उनसे बढ़कर भी हैं।यदि माता पिता का प्रेम व आशीर्वाद चाहिए तो उनके पास बालक बनकर रहो।इसी तरह भगवान से कुछ चाहिये या माँगना हैं जीवन में कुछ बनना तो बालक बनकर जाओ या रहो कोई भगवान से अपनी तुलना मत करो। बच्चे सभी का मन मोह लेते हैं क्यों क्योकि ओ साफ़,सरल ह्रदय के होते ।

    ये श्रीमद् भगवत कथा ऐसे व्यक्ति संत श्री शुकदेव जी महाराज ने लिखी है जिस पर काम वासना, क्रोध ,लोभ का कोई प्रभाव ही नही हुआ है।
                                  आज कल कुछ पाखंडी लोग भगवान ,श्री कृष्णा की रास लीला को गलत अर्थों में ले कर पाखंड कर रहे है ,ऐसे लोग तो ख़ुद भी नरक में जाते हैं और अपने अनुयायी को भी नरक में ले जायेंगे। जैसा की आप ने समाचार पत्रों में और न्यूज़ चैनेलों के माध्यम से ऐसे पाखंडियों के बारे में आप को सुनने को मिलता है ।ऐसे लोगो को प्रभु सद् बुध्दि दे जिससे सदमार्ग पर चल सके।

    व्यक्ति काम की वासना हवस में स्त्रियों पर जुल्म या अत्याचार क्यों करता हैं  :
    काम भोग के क्रोध, गुस्सा को हवस ,वासना कहते हैं। जब व्यक्ति हवस ,वासना का मतलब गुस्सा में होता हैं तो उसे  उस समय कुछ समझ मे नही आता हैं की वह क्या कर रहा हैं, जब हवस,वासना (जिसे हम काम का गुस्सा कह सकते हैं शांत होती हैं तब हमे समझ में आता हैं कि हमने क्या गलती किया हैं और पाश्चाताप होता हैं। यहाँ तक की कुछ लोग काम भोग करने के बाद अपने आप को दोषी मानने लगते हैं या अपने आप से नफ़रत करने लगते हैं। ये सब वासना,हवस के कारण होता हैं। जब वह वासना रूपी गुस्सा में होते हैं तो उन्हें खुद भी पता नही चलता कि क्या वह सही या गलत करते हैं ।क्योकि क्रोध angry होने पर किसी को कुछ समझ में नही आता हैं तो मजा,आनंद लेने की तो बात ही  छोड़िए ।क्योकि  क्रोध या गुस्सा अपने आप में ही एक सजा हैं जो कोई व्यक्ति क्रोध करता हैं तो वह अपने आपको ही सजा देता हैं। दूसरों को नुकसान से ज्यादा अपने शरीर, मन,इज्जत मन सम्मान को ठेस पहुचाता हैं। यही बात काम पर भी लागू होती हैं।वासना,हवस काम भोग रूपी गुस्सा के आधीन होकर काम भोग करता हैं उस समय अपना नुकसान तो करता ही हैं, साथ ही दुसरो का नुकसान व विनाश करता हैं। यही कारण हैं की व्यक्ति काम वासना में स्त्रियों के ऊपर अत्याचार करता हैं काम sex किसी का नुकसान नही करता हैं। हवस,वासना करती हैं। वासना भी नही करती जितने व्यक्ति के कर्म जिम्मेदार हैं।
    आपको कहीं भी संसार जगत में कॉलेज यूनिवर्सिटी या फ़िल्मो मे काम ,क्रोध,लोभ,मोह के बारे में किस तरह इन्हें अपने controll वश में करना हैं। नही बताया जाता हैं या सिखाया जाता हैं।
                  ज्यादा हुआ तो कैसे काम( sex),क्रोध करके लड़ाई करना हैं,भोग वासना करना हैं या लड़की को वश में करने के टिप्स ज़रूर सिखा देते हैं ।और सिखाते भी हैं, टीवी में फ़िल्मो में आप तो जानते ही होंगे की एक भोग वासना का सीन दृश्य जरूर होता हैं। कार ,गाड़ी चलना तो सिखा दिया अब उसे कैसे रोकना हैं अपने वश मे या नियंत्रण में करना हैं वह भी बताना,सिखाना चाहिए। यदि आपको कोई वाहन चलाना आता हैं तो वह कोई भी मार्ग रास्ता ( पथरीला, ऊबड़ खाबड़ या भीड़ भरा )हो आप चला लगे और जहाँ पहुँचना हैं ,जाना हैं पहुँच भी जाते हैं। इसी तरह काम भी हैं। कामदेव भी भगवान श्री कृष्णा के पास जाता था लेकिन कुछ नही कर पता था ।क्योकि काम उनके वश controll में था। ऐसी ओ विद्या जानते थे।
                          Conclusion :- 
     काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार के बारे मे हम किसी से जानना चाहे तो लोग कहते हैं कि ये मन के विचार हैं, ये विचार के आलावा भी और बहुत कुछ हैं और इसका इलाज क्या करेगे ज्यादा हुआ तो मन mind का operation कर देगे,medicine,कोई थैरेपी या योग व्यायाम exersice बताते हैं। तो कोई वासना को शांत करने की दवा या exercise भी नहीं करेगे कही नपुंसक न बन जाये या हमारी भोग करने की शक्ति न कम जाएं। काम भोग वासना बढाने की दवा ले लेते हैं लेकिन इसको वासना को नियंत्रण करने के बारे में सोचते भी नही हैं। योग और exercise भी उतना प्रभाव मन में नही डाल पाते हैं। फिर भी exersice से शरीर को फिट रखता हैं। operation या औषधीय से मन तो शांत हो जायेगा लेकिन काम की शक्ति भी जा सकती हैं ।और जिसके पास काम( सेक्स) की शक्ति नही रहेगीं तो उससे विवाह कौन करेगा उसका वंस कैसे चलेगा सन्तान उत्पत्ति कैसे होगी । इसलिये काम भोग सेक्स की शक्ति power भी जरूरी हैं। जैसे भगवान शिव जी ने जब कामदेव lord ऑफ़ sex को अपनी योग शक्ति से जल दिया था तो सारा संसार ही रुक गया था। बहुत विकट परिस्थिति पैदा हो गयी थी।
          तो इसका सरल सहज उपाय निवारण इलाज क्या हैं जिससे हम काम भोग का मजा आंनद भी ले पाये और इन्हें अपने वश controll में भी रख पाएं जिससे दुसरो व अपना भी नुकसान न हो । ये साधारण से सरल दिव्य बीज मन्त्र Divine beej Mantra हैं जिनका कुछ या थोड़े समय मात्र में जप करने से आपको सारी चीजे समझ में आने लगेगी।काम वासना,क्रोध आपके controll वश में आ जाएंगे।  यदि काम की शक्ति नही हैं तो वह भी आपके पास आ जायेगी कोई दवा  लेने के लिए किसी वैद्य डॉक्टर्स के पास भटकने, जाने की जरूरत नही पड़ेगी।

                   (परम् पूज्य सदगुरुदेव  जी के प्रभु कृपा ग्रंथ "मयख़ाना" के अंंश है)
    यहाँ पर मयख़ाना का मतलब प्रभु (भगवान) से है,पैमाना का अर्थ दिव्य बीज मंत्रो से है ।                                                        "श्री कृष्णा साक़ी बन लाय गीता रूपी पैमाना
             कर्मक्षेत्र में तत्पर होकर पीटा अर्जुन रूपी दीवाना
             आध्यात्म की हाल पीकर पाश्विक वृतियां छूट गयी
                  मन वाँछित फल मिलता उनको जो जो पूजें
                                      मयख़ाना"
           



    शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

    "आश्चर्य अमेरिकन सीनेट ने भारतीय संत को सम्मानित किया"

     "आज-कल हम आधुनिक जीवन की भाग दौड़ में इतने व्यस्त हो गये है की हमे स्वम् खुद को पता नही है की हमारी जीवन शैली कैसी हो गयी गलत खान -पान गलत व्यवहार के कारण और अपनी भारतीय सनातन संस्कृति को भूलने के कारण हमें कई प्रकार के रोग एवम् कष्ट समस्याये हो रही है ।
     हम विकास साइन्स नयीं-नयीं तकनीक को कैसे अपने जीवन में पाये जिससे हमारा जीवन सरल और सहज़ बने इसलिए हम जहाँ विकास है, और पाश्चात्य सभ्यता(western culture) का अंधानुसारण कर रहे है । लेकिन विकासः तो वहां है तो हम फिर किसका अनुसरण करे । 
    पाश्चात्य सभ्यता कोई बुरी नही है। हम वहां की  टेक्नोलॉजी साइंस सीखे । लेकिन वहां की गलत आदते और आचरण नही सीखेंगे तो विकास नही होगा । ऐसा नही है।विकास होगा ,इन्ही गलत आदतों और अनियमित जीवन शैली के कारण हमे अनेक प्रकार के बीमारियां एवं समस्याये हो रही हैं ।जिन रोगों बीमारियो को डॉक्टरों ने कह दिया है इसका इलाज नही है जिसके लिए हमे पूरे जीवन भर दवाइयाँ एवम् मेडिसिन लेनी पड़ेगी । क्या उन रोगों और बीमारियो का इलाज प्रभु का नाम लेने से ठीक हो सकती है प्रभु नाम (दिव्या बीज मंत्रो) के जाप (chatting) करने से क्या इस 21वीं सदी के वैज्ञानिक युग में भी रोगों से मुक्ति मिलती है,क्या यह मजाक है, मेडिकल साइंस भी जिसे ठीक नही कर सकता वो बीमारियां प्रभु अल्लाह वाहे गुरु परमात्मा (दिव्या बीज मंत्रो )का नाम लेने से ठीक हो सकती है।

    जी हां यह सत्यः है बिल्कुल यह तथ्यों और प्रमाणों के साथ सत्य है जिसकी जाँच स्वम् डॉक्टरों व वैज्ञानिकों ने की है।  जिसके परिणाम स्वरुप अमेरिकन सीनेटर ने भारतीय सनातन संत भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम संस्थान के परम पूज्य सद्गुरु श्री ब्रम्हऋषि श्री कुमार स्वामी जी को अपने (New Jersey state senate) सीनेटर हॉउस में निमन्त्रित करके सम्मानित किया है। उन्होंने ये सम्मान अपने मेंडिकल रिपोर्ट एवं कई वर्षो की गुप्त (खुपिया) जाँच करने के बाद दिया है।और यह खबर कई न्यूज़ चैनेलों एवं समाचार पत्रों में भीें प्रकाशित और प्रसारित हो चुकी है ।
    साथ ही UK की पार्लियामेंट ने सद्गुरु देवश्री कुमार स्वामी जी को ambassador for Peace award से सम्मानित किया है।ये सम्मान उन्होंने दिया है जो आत्मा परमात्मा को मानते ही नही है । लेकिन उन्होंने पाठ(जप) किया और प्रभु नाम की शक्ति को उन्होंने माना ।यह सम्मान सिर्फ एक संत का ही नही है अपितु समस्त भारतीय सनातन मर्यादा एवम् भारतीय संस्कृति का है।
    इस लेख को लिखने का मतलब यह है की जिस भारतीय संस्कृति प्रभु नाम पाठ (दिव्या बीज मंत्रो )को हम भूलते जा रहे है,उसी सनातन संस्कृति का नाम जप करके लोग ठीक हो रहे है। दिव्या बीज मंत्रो से क्या लाभ होता है ,कैसे दिव्या बीज मंत्रो का जप करें और अपने जीवन में यह सब आप को भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम की ऑफिसियल साईट से जानकारी मिल सकती है-http://cosmicgrace.org/contact_us.html यह  वीडियो का लिंक भगवन श्री लक्ष्मी नारायण धाम की official site से लिया गया है । https://youtu.be/Blv30oWjtC8           https://youtu.be/-cp0KawZMtw

     " बुरा इसे तुम कह लो जितना ।

    ज़ी भरकर नफरत कर लो

      लेकिन कल तुम स्वम् कहोंगे सबसे


          बढ़कर मयख़ाना "