अध्यात्म( spirituality) - अधि+आत्म __ अधि का अर्थ है अधिक, महान्, व्यापक (greatest, largest)और इसी को सूक्ष्म अति सूक्ष्म (micro,nano particle )कहते है + और आत्म का अर्थ है (self )स्वयम् । जो महान् से भी महान् है और जो सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म है स्वयं , ख़ुद, अपने आप में। ऐसा कौन व्यक्ति person है या कौन हो सकता है जो महान से भी महान हैं ,अणु से भी छोटा है सूक्ष्म हैं : - ओ परमात्मा के सिवा ,अलावा और कोई नही हो सकता है इसलिए sprituallity को परमात्मा , God , ख़ुदा अल्लाह कहते है। इस प्रकार अध्यात्म किसी एक सीमा या क्षेत्र limit में बधा हुआ नही है।क्योकि अध्यात्म ही भगवान हैं तो भगवान कैसे किसी एक limit या क्षेत्र में बाधा जा सकता है। भगवान सदा रहने वाला है और सभी जगह हैं, आत्मा के बारे में ये बाते प्रभु श्री कृष्ण ने कही है ऐसे कौन सी चीज है जो सब जगह विद्यमान है ओ परमात्मा God के आलावा कोई और हो ही नही सकता है। इसी को अध्यात्म भी कहते है ।जिस आत्मा के बारे में हमे ज्ञान है की आत्मा शरीर में आ गयी चली गयी ओ सूक्ष्म शरीर है ।जो की microscope से भी देखने पर दिखाई नही देता है।सूक्ष्म शरीर जीवाणु कीटाणु से भी अति micro, nano particle है।आत्मा के बारे में भगवान श्री कृष्णा ने जब कह दिया है की आत्मा न आती है न जाती है travel नही करती है ओ सदा है और सब जगह है ।ओ वही अध्यात्म # आत्मा # धर्म = परमात्मा (GOD) ख़ुदा अल्लाह तीनो एक ही है। समझने के लिए एक व्यक्ति या भगवान के तीन अलग अलग नाम(धर्म religions,आत्मा Soul' ,अध्यात्म spirituality) है।
" अध्यात्म अनेक विषयों (राजनैतिक, सामाजिक,धार्मिक,सांस्कृतिक,आर्थिक, भूगौलिक, विज्ञान एवम् कला जगत आदि ) का मिला-जुला एक विस्तृत एवम् व्यापक क्षेत्र हैं ।" अध्यात्म किसी क्षेत्र ,रूप में बंधा हुआ रूप नही है ।और अध्यात्म न ही कोई विषय है। ये तो हमारे समझने के लिए लिख देते है या कह देते हैं क्योकि ये सोचने वाली बात है कि जब स्वयं God ख़ुदा वाहे गुरु परमात्मा ही अध्यात्म हैं तो परमात्मा ,ख़ुदा ,God का तो न ही रंग रूप रेक है निर्गुण हैं गुणा तीत है ये शब्द जिस शब्दों से आपको लिखकर या बोलकर बताया जा रहा हैं भगवान इन शब्दों से भी पार है ।ये तो भगवान God अल्लाह हम पर कृपा करते हैं और हम जिस रूप में पूजते हैं उस रूप में आ जाते हैं प्रगट ,अवतरित होते हैं। इस्लाम में जैसे कहा जाता हैं की खुदा अल्लाह का कोई आकार ,रूप ,रंग( color तो उसका होगा जिसका रूप form होगा) नही है तो मो साहब ने ख़ुदा से कैसे बात किया । यहाँ समझने वाली बात हैं कि ख़ुदा का जब आकर,रूप हैं ही नही तो खुदा अल्लाह से कैसे बात हुयी । लेकिन ये कहा जाता हैं की मो साहब ने खुदा अल्लाह से बात की हैं। ख़ुदा अल्लाह ने मो साहब पर बात करने की अपनी कृपा की हैं अपनी रहमत की हैं तब जाकर मो साहब ख़ुदा से खुद बात कर पाये है। ये बात हुयी की भगवान God ख़ुदा अल्लाह ही अध्यात्म हैं।
आत्मा परमात्मा :-
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।
इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सूखा नहीं सकता । ओ कौन है जिसे अग्नि जला नही सकती , पानी गला नही सकता वायु सुखा नही सकती अस्त्र शस्त्र काट नही सकते। ये जो बाते आत्मा के बारे में कहि गयी हैं वही परमात्मा हैं। और एक और चीज ध्यान देने वाली हैं की जैसे लोग कहते हैं आत्मा आ गयी चली गयी । ये आत्मा कही आती जाती नही हैं। जब आत्मा ही परमात्मा हैं तो परमात्मा तो सदा ,सर्वदा आदिकाल से है । परमात्मा भी आते जाते नही हैं ओ भी प्रगट होते हैं।जैसे सूर्य हैं ओ छिपता( hide) नही हैं उसके सामने बादल या धूल आ जाती हैं और जैसे ही ये बादल धूल हटती हैं।सूर्य का प्रकाश और सूर्य दिखाई देने लगते हैं। ऐसे ही परमात्मा हैं।ये आत्मा परमात्मा दो नही एक हैं । गीत में जो भगवान अर्जुन को बता रहे हैं की ये जो हमारा सबका शरीर पशु,पक्षी ,जीव जंतु, मनुष्य आदि का जिसका जन्म हैं उसकी मृत्यु है। और जो हमेशा सदा हैं या रहने वाला हैं ओहि परमात्मा हैं । इसके बारे में भगवान अर्जुन को इस इश्लोक में बता रहे हैं।
धर्म (religion ) : -
हमारे मन के विचार (हिन्दू ,मुस्लिम सिख ,ईसाई ,जैन ,पारसी आदि )की जिज्ञासा जिन्हें भगवान ने ग्रंथ,या पुराणों या पुस्तक (गीता हो ,वल्मीकि पुराण ,श्रीमद् भगवत् कथा हो या श्री दुर्गा सप्तसती हो या क़ुरान ,बाईबिल ,धम्मपद ,जैनवाणी ,आदि ) के रूप में हमे बताया है । उसे हम सम्प्रदाय कहते है । इन पुस्तको ग्रन्थो पुराणों या मन में भगवान, अल्लाह ख़ुदा, God के वचन है। यही संप्रदाय कहलाते है। "
" God ,भगवान ,ख़ुदा या अल्लाह के वचन,बातें संप्रदाय है, और स्वयं भगवान, God ,ख़ुदा अल्लाह धर्म (religion) है या भगवान को ही धर्म कहते हैं ।"





