अर्जुन ने एक भगवान श्री कृष्ण से पूछा की हे ! प्रभु मैं आप से जानना चाहता हूँ की ' संत के दर्शन ' का क्या लाभ अर्जुन ने इस प्रकार पूछा तो प्रभु श्री कृष्णा जी चुप रहे और कुछ नही बोले ।तो फिर अर्जुन ने कहा मैं प्रभु पूछ रहा हूँ और आप कुछ नही बोल रहे है। परमात्मा श्री कृष्णा ने कहा अच्छा जाओ ओ जो उस पेेेड़ पर हँस पक्षी बैठा है,उससे पूछ कर आओ । अर्जुन ने जाकर उस हंस से वही प्रश्न पुछा कि हे ! हँस संत के दर्शन का क्या लाभ है? इस प्रकार अर्जुन ने जैसे ही हँस से पूछा संत के दर्शन का क्या लाभ है उसके कुछ ही पल में हँस मर गया। अर्जुन चुपचाप आकर बताया की मैंने प्रभु जैसे ही उस हँस से पूछा तो ओ हँस तो मर गया।भगवान ने कहा जितने दिन उसके कर्मो व पुण्यों का प्रारूप,फल था उतने दिन तक ओ रहा । फिर कुछ दिनों बाद अर्जुन ने भगवान से वही प्रश्न पूछा ।
इस बार भगवान ने कहा जाओ सेवक,गरीब के यहाँ एक बच्चा हैं उससे पूछ कर आओ। अर्जुन उस सेवक के वहा गया तो उसने सम्मान पूर्वक बैठाया।अर्जुन ने वही प्रश्न उस बच्चे से पूछा बच्चा भी कुछ देर में मर गया। सभी रोने लगे।अर्जुन वहा से चला आया।और प्रभु से सब कुछ बताया।
भगवान ने कहा अच्छा उस ब्राम्हण के घर में एक बच्चा हुआ है।वहा जाकर पूछ आओ की संत के दर्शन का क्या लाभ है। अर्जुन ने जाकर उस ब्राम्हण के बच्चे से पूछा। अर्जुन बच्चों की भाषा जानते थे। इस प्रकार अर्जुन ने पूछा जैसे पूछा। बच्चा भी चला गया। ब्राम्हण ने कहा की मैंने सोचा की आप राजा है आये है तो कुछ अच्छा होगा।इस बार भगवान ने कहा जाओ सेवक,गरीब के यहाँ एक बच्चा हैं उससे पूछ कर आओ। अर्जुन उस सेवक के वहा गया तो उसने सम्मान पूर्वक बैठाया।अर्जुन ने वही प्रश्न उस बच्चे से पूछा बच्चा भी कुछ देर में मर गया। सभी रोने लगे।अर्जुन वहा से चला आया।और प्रभु से सब कुछ बताया।
- अर्जुन नाराज होकर भगवान श्री कृष्णा से बोला की प्रभु जिसके पास मैं पूछने जाता हूँ की संत के दर्शन का क्या लाभ है ओ मर जाता है । आपको नही बताना है तो मत बताइए।इस प्रकार अर्जुन के मन में वह जिज्ञासा की महीनो तक चलती रही जक तक व्यक्ति के मन की जिज्ञासा का जबाब नही मिलता वह व्यक्ति अशांत रहता है।इसी कारण अर्जुन ने कुछ महीनो बाद भगवन से एक बार फिर पूछ ही लिया की फिर आप मुझे कृपा करके बता दीजिये। भगवान ने कहा अच्छा जा तू उस राजा के यहाँ एक बालक का जन्म हुआ है वहा तेरी जिज्ञासा का हल,समाधान मिल जायेगा। अर्जुन ने कहा ओ राजा मेरे राज्य का विरोधी है यदि ऐसा कुछ हुआ तो ओ मुझे मार ही डालेगा भगवन ने कहा !जा तू कुछ नही होगा
अर्जुन जैसे ही राजा के पास पहुँचा तू अर्जुन किसलिए आये हो अच्छा तू मेरे बालक के दर्शन के लिए आया है,इसलिए तुझे कुछ नही कहूँगा कर ले दर्शन।अर्जुन ने जैसे ही उस बालक से पूछा 'संत के दर्शन 'का क्या लाभ है,
- नवजात बालक मुस्कुराया बोला तू मुझे नही पहचान पाया। मैं वही हँस हूँ ,जिसके पास तू पहली बार आया था। तुम भगवान के दर्शन करके आया तो मैं हँस से एक इंसान के घर में जन्मा जो आर्थिक रूप से उतना मजबूत नही था।जब तू दूसरी बार आया तो मैं उस सेवक ,मजदूर के घर से होकर एक पढ़े लिखे विद्वान, ब्राम्हण के घर जन्मा और जब तुम तीसरे बार दर्शन करके आये तो मैं उस ब्राम्हण के घर से होकर एक शक्ति ,धन,वैभव से सम्पन्न राजा के घर जन्म लिए " ये संत के दर्शन का लाभ है "
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